आज भी हमने समंदर की तह छानी
आज भी भटके सहराओं में हम
आज भी बैठे मिस्ल-ए-मजनूं
आज भी छलके पैमाओं से हम
आज का दिन भी जाया हुआ
आज भी रहे तुमको लिखे बगैर...
आज भी हमने समंदर की तह छानी
आज भी भटके सहराओं में हम
आज भी बैठे मिस्ल-ए-मजनूं
आज भी छलके पैमाओं से हम
आज का दिन भी जाया हुआ
आज भी रहे तुमको लिखे बगैर...