आज मेरी गोद में शरमा रहा कोई
चाँद से कह दो नहीं वह मुस्कुराए।
जा बहारों से कहो बोले न बुलबुल
क्योंकि अनबोली कहानी चल रही है
जा सितारों के बुझा दो दीप सारे
क्योंकि पानी बिन जवानी जल रही है
अब पिया को और मत टेरे पपीहा
क्योंकि सीने में धड़कता दिल किसी का
करवटें बदले न लहरों की शरारत
क्योंकि डूबा जा रहा साहिल किसी का
आज सपना हो गया साकार सम्मुख
रात से बोलो न वह सपने सजाए
चाँद से कह दो नहीं वह मुस्कुराए।
आज प्यासी बाहुओं के कुंजवन में
सागरों की देह शरमाई पड़ी है
थरथराते गर्म होंठों की शरण में
आग की आँधी बुलाई-सी खड़ी है
आज लगता है कि पलकों की सतह पर
सो रहा है अनमना तूफ़ान कोई
जान पड़ता है कि सांसों से उलझकर
रह गया है एक रेगिस्तान कोई
आज जो मुझको छुएगा वह जलेगा
इसलिए कोई न अब उँगली उठाए
चाँद से कह दो नहीं वह मुस्कुराए।
आज पहली बार अपनी ज़िन्दगी में
कर रहा महसूस- मैं भी जी रहा हूँ
आज पहली बार होकर बेखबर मैं
हर कसम पर बे पिए ही पी रहा हूँ
आज पहली बार ही मानो न मानो
सो सका हूँ खोलकर मैं साँस अपनी
आज पहली बार साँसों के सफ़र में
हो सकी है एक अपनी चीज अपनी
आज मैं अनमोल हूँ बेमोल बिक कर
जग न अब मेरी कहीं कीमत लगाए
चाँद से कह दो नहीं वह मुस्कुराए।
आज मत पूछो कि मैं क्या कर रहा हूँ
और है क्या कह रहा संसार सारा
आज मुझको भय नहीं है काल का भी
आज मेरा प्राण है जलता अंगारा
प्रश्न तो संसार के हरदम हुए हैं
और होते ही रहेंगे ज़िन्दगी भर
पर न आएगी कभी यह रात फ़िर से
पर मिलोगी न फ़िर न तुम जीवन-डगर पर
इसलिए यदि द्वार आए मुक्ति भी तो
बेइज़ाज़त आज वह भी लौट जाए
चाँद से कह दो नहीं वह मुस्कुराए।