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आज समन्दर है बेहाल / विज्ञान व्रत

आज समन्दर है बेहाल
फेंक मछेरे अपना जाल

थम जाएगा यह भूचाल
ऐसा कोई वहम न पाल

जिसको दुनिया पहचाने
ख़ुद की वो पहचान निकाल

तू भी ढूंढ़ न पाएगा
अपने जैसी एक मिसाल

मेरे वापिस आने तक
रखना मेरी साज-सम्भाल