आज समन्दर है बेहाल
फेंक मछेरे अपना जाल
थम जाएगा यह भूचाल
ऐसा कोई वहम न पाल
जिसको दुनिया पहचाने
ख़ुद की वो पहचान निकाल
तू भी ढूंढ़ न पाएगा
अपने जैसी एक मिसाल
मेरे वापिस आने तक
रखना मेरी साज-सम्भाल
आज समन्दर है बेहाल
फेंक मछेरे अपना जाल
थम जाएगा यह भूचाल
ऐसा कोई वहम न पाल
जिसको दुनिया पहचाने
ख़ुद की वो पहचान निकाल
तू भी ढूंढ़ न पाएगा
अपने जैसी एक मिसाल
मेरे वापिस आने तक
रखना मेरी साज-सम्भाल