आज सुभाइन ही गई बाग, बिलोकि प्रसून की पांति रही पगि।
ताही समै तहं आए गुपाल, तिन्हें लखि औरो गयो हियरो ठगि॥
पै 'द्विजदेव' न जानि परयो धौं कहा तिहिं काल परे अंसुवा जगि॥
तू जो कहै सखि लोनो सरूप, सो मो अंखियांन को लोनी गई लगि॥
आज सुभाइन ही गई बाग, बिलोकि प्रसून की पांति रही पगि।
ताही समै तहं आए गुपाल, तिन्हें लखि औरो गयो हियरो ठगि॥
पै 'द्विजदेव' न जानि परयो धौं कहा तिहिं काल परे अंसुवा जगि॥
तू जो कहै सखि लोनो सरूप, सो मो अंखियांन को लोनी गई लगि॥