Last modified on 3 अप्रैल 2019, at 22:52

आठौ काळ / रेंवतदान चारण

आभै ऊपर भमै गिरजड़ा, चीलां उडती जाय
पग-पग ऊपर ल्हास मिनख री, कुत्ता माटी खाय
लूट, डकैती, खून, चोरियां, लाय लगी तौ झाळौझाळ
भूख भचीड़ा फिरै खावती, नाचै झूमै सौ-सौ ताळ
सुगनचिड़ी सूरज नै पूछ्यौ, गिरजां नै पूछ्यौ कंकाळ
धोरां नै पूछै रूखंड़ला, ल्हासां नै अगनी री झाळ
क्यूं मौत री मरजी माथै, जीवण री पड़गी हड़ताळ?
हिरणी बोली रया करै, कंई, रखवाळां रौ पड़ग्यौ काळ!

जेठ, असाढ़ां आंधी बाजी, खीरां तपियौ तावड़ियौ
बाळी लूआं हिये रमाई, रैण रेत रौ रावड़ियौ
पग उरबांणां, बळी चामंडी, बळ-बळ हुयग्यौ छाळौ
इण आस में सांसा अटक्या, आवैला बरसाळौ
आंखड़ियां पथराई, बंधगी पांणी आडी पाळ
धोरां नै पूछै रूंखड़ला, ल्हासां नै अगनी री झाळ
क्यूं मौत री मरजी माथै, जीवण री पड़गी हड़ताळ?
हिरणी बोली रया करै कंई, रखवाळां रौ पड़ग्यौ काळ!

सदा सुहांणौ लूंबै सांवण, दिन आवै अलबेला
मिनख ममोलया बाड़ बेलड़ी, करै मनां रा मेळा
प्रीत बावळी हुयनै धरती, आपै में नहिं मावै
पण बिरखा बैरण अैड़ी रूठी, पीड़ कही नीं जावै
सपनै में हरियै सांवण रा, आवै है जंजाळ
सुगनचिड़ी सूरज नै पूछ्यौ, गिरजां नै पूछ्यौ कंकाळ
क्यूं मौत री मरजी माथै, जीवण री पड़गी हड़ताळ?
हिरणी बोली रया करै कंई, रखवाळां रौ पड़ग्यौ काळ!

धरती नै वैराग सूझियौ, घर-घर जड़ग्या ताळा
काळ झूमतौ रमै आंगणै, भूत बण्या रखवाळा
मिनख मारणौ, खोस खांवणौ, चोरी हंदा रहग्या कांम
रोटी मोटौ तीरथ हुयग्यौ, गंगा जमना तीनूं धांम
काळ बरस में भूखा धाया, हुयग्या अेकण ढाळ
धोरां नै पूछै रूंखड़ला, ल्हासां नै अगनी री झाळ
क्यूं मौत री मरजी माथै जीवण री पड़गी हड़ताळ?
हिरणी बोली रया करै कंई, रखवाळां रौ पड़ग्यौ काळ!

इतरा दिन तौ चांद लागतौ, चंद्रमुखी रा मुखड़ा ज्यूं
आज भूख रै कारण फीकौ, लागै रोटी टुकड़ा ज्यूं
भूखी बिलखी आंखड़ियां में, सूरमौ कदै न छाजै
नैण कंवळ री उपमा देता, हंसी फूल री लाजै
देख गिगन रौ आधौ चंदो, मंगता हाथ पसारै
हिम्मत करनै दौड़ण लागी, भूख मौत रै लारै
धरती ऊपर धरणौ दीनौ, आधेटै में थमती चाल
सुगनचिड़ी सूरज नै पूछ्यौ, गिरजां नै पूछ्यौ कंकाळ
हिरणी बोली रया करै कंई, रखवाळा रौ पड़ग्यौ काळ!

घर छूटा घरबार छूटग्या आस छूटगी जीवण री
कायौ हुयनै जैर घोळियौ, हिम्मत कीनी पीवण री
मिनखा तन नै मिटती बेळा, जीत जैर में दीसी
फांसी चढ़तां फंदौ बोलयौ, मत गिण मौत इतीसी
कूदण लागौ मिनख कुवा में, बोल उठी परछाई
ऊंडौ खाडौ भरणी चावै, पेट भरै नीं कांई
भंवळ खायनै पड़गी काया, आंख्यां में आयौ जंजाळ
धोरां नै पूछै रूंखड़ला, ल्हासां नै अगनी री झाळ
क्यूं मौत री मरजी माथै, जीवण री पड़गी हड़ताळ?
हिरणी बोली रया करै कंई, रखवाळां रौ पड़ग्यौ काळ!

पांणी पी-पी जापौ काढ्यौ, हियै दूध री सूखी धार
टाबर रोयौ भूखां मरतौ, मन बिलमावण लागी नार
बेटो मां नै दोसी जाणै, चीसां कर-कर रोवै
खाली बोबो चूंघै कद तक, सबर कठा तक होवै
रीसां बळतौ किरड़ खायगौ, नैनौ रूप कियौ विकराळ
मां हालरियौ गाती रैगी, होठ लोई सूं होयग्या लाल
ममता बोली सोच करै क्यूं, खून व्रथा नहिं जावैला
खून दूध सूं मीठौ लागै, हंसतौ-हंसतौ पीग्यौ बाळ
सुगनचिड़ी सूरज नै पूछ्यौ, गिरजां नै पूछ्यौ कंकाळ
क्यूं मौत री मरजी माथै, जीवण री पड़गी हड़ताळ
हिरणी बोली रया करै कंई, रखवाळां रौ पड़ग्यौ काळ!

कद सूं देख काळ धरा रौ, आभौ इतरौ आगौ
पण अणचेतां नै समय कठै कै देखै काळ अभागौ
उगतौ ढळतौ सूरज देखै, मांणस तड़फा तोड़ै
प्रीत तूटती देखै चंदा, छैल कांमणी छोड़ै
मरती हिचकी लेवै टाबर, तूटै नभ में तारौ
बेचै रमणी लाज, चांनणौ कम पड़ग्यौ चंदा रौ
सुगनचिड़ी सूरज नै पूछ्यौ, गिरजां नै पूछ्यौ कंकाळ
धोरां नै पूछै रूंखड़ला, ल्हासां नै अगनी री झाळ
 क्यूं मौत री मरजी माथै, जीवण री पड़गी हड़ताळ
हिरणी बोली रया करै कंई, रखवाळां रौ पड़ग्यौ काळ!
रखवाळां रौ पड़ग्यौ काळ, रखवाळां रौ पड़ग्यौ काळ!