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आठ / बिसुआ: फगुआ / सान्त्वना साह

चैत हे सखी धनसर फुनसर मैया, पोखरी लहावै लेॅ जाय हे
हुवो सहाय मैया, सब रो बलकवा पर, ऊँचे निशान लहराय हे।

बैसाख हे सखी घामेॅ पसीनवा मंे, रतिया सोहान भोरे-भोर हे
अँखिया भरमैलै रामा, लॉत-पात जुड़ैलै, थमै नै बहै नैना लोर हे।

जेठ हे सखी बाजै पैजनिया, इनरा पनभरनी के शोर हे
लचकै कमरिया, छलकै गगरिया, मुस्कै डगरिा पे चोर हे।

अषाढ़ हे सखी लकपाँचक तिथि सेॅ, परबो के भेलै परचार हे
नागो डीहो पर बसलो, अंग ऐंगनमा, लावा संग दूधो के धार हे।

सावन हे सखी झूलन महोत्सव, झूला झूले नन्द लाल हे
नन्द नन्दन वृष भानु दुलारी, राधा गोविन्द गले माल हे।

भादो हे सखी सोनिका ऐंगनमा, बाला के सजलै बरियात हे
सिंहा जे गरजै रामा, लोहा-बाँस घरबा, उजड़ै सोहाग वही रात हे।

आसिन हे सखी बंशी के धुन सुनी, साड़ी मझ नारी ओझराय हे
नाच नचाय नट कुँवर कन्हैया, रासेॅ रचाय संग शिवाय हे।

कातिक हे सखी काली बम काली, गर्व गुमानी मुख लाल हे
सुध-बुध बिसारी, संहारकारी, महाकालेश्वर पर लात हे।

अगहन हे सखी गौरी केॅ पूजी-पूजी, माँगै सिया वर राम हे
दशरथ कौसल्या भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न, माँगै अवधपुर धाम हे।

पूस हे सखी रसो के रसिया, खावै मेॅ लागै छै सोहान हे
औंगरी केॅ चाटी-चाटी, खाये किरनिया, बड्डी सबदगरो जान हे।

माघ हे सखी माघी पुरनिमा मेला, बलुआ घाटो मेॅ असनान हे
चढ़ी पहाड़ो पर, पूजबै महादेव, अजगैबी बाबा केरो धाम हे।

फागुन हे सखी गोटा के फूल फूली, चिकना सेॅ करै तकरार हे
सीसो गहूमो के, बूँटो के झाड़ो सेॅ, छने-छन करै छै अरार हे।