बारूदी धुएं से
बह जाती हैं
आंसुओं के साथ साथ
चाहतों की ओस भी
मेरे उस शहर में
जहां नफ़रत का राजकुमार
मक्कारी का मुकुट पहने
आतंक के सिंहासन पर बैठे
राज कर रहा है.
बारूदी धुएं से
बह जाती हैं
आंसुओं के साथ साथ
चाहतों की ओस भी
मेरे उस शहर में
जहां नफ़रत का राजकुमार
मक्कारी का मुकुट पहने
आतंक के सिंहासन पर बैठे
राज कर रहा है.