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आत्मकथा / उज्ज्वल भट्टाचार्य
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उज्ज्वल भट्टाचार्य
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मैंने प्यार किया।
लड़खड़ाया।
मुँह के
बल गिरा।
उठकर
खड़ा हुआ।
और मैंने प्यार किया।