बनाना चाहा है जब कभी
आत्मचित्र अपना
हर बार बन कर रह गया
वह तुम्हारी आँखें।
तुम्हारी आँखें ही
इस बार बनाता हूँ
देखता हूँ उनमें जो उभर ही आए
चित्र मेरा।
बनाना चाहा है जब कभी
आत्मचित्र अपना
हर बार बन कर रह गया
वह तुम्हारी आँखें।
तुम्हारी आँखें ही
इस बार बनाता हूँ
देखता हूँ उनमें जो उभर ही आए
चित्र मेरा।