Last modified on 15 अगस्त 2009, at 16:15

आत्मचित्र-2 / नंदकिशोर आचार्य

बनाना चाहा है जब कभी
आत्मचित्र अपना
हर बार बन कर रह गया
वह तुम्हारी आँखें।

तुम्हारी आँखें ही
इस बार बनाता हूँ
देखता हूँ उनमें जो उभर ही आए
चित्र मेरा।