मैं जब-जब अपने से
बातें करना चाहता हूँ
न जाने कौन कौन
बीच में आ जाता है
आत्म-सवांद बाधित करते हुए!
उन्हें दूर तक धकियाता हूँ
मुक्त होता हूँ!
पर जब वापस लौटता हूँ अपनी जगह
तब स्वयं को वहाँ नहीं पाता
जहाँ अभी-अभी
छोड़कर गया था!
मैं जब-जब अपने से
बातें करना चाहता हूँ
न जाने कौन कौन
बीच में आ जाता है
आत्म-सवांद बाधित करते हुए!
उन्हें दूर तक धकियाता हूँ
मुक्त होता हूँ!
पर जब वापस लौटता हूँ अपनी जगह
तब स्वयं को वहाँ नहीं पाता
जहाँ अभी-अभी
छोड़कर गया था!