जब चमकता है आत्मा का वैभव
नश्वर काया के माध्यम से
क्या तुम्हें तब एहसास नहीं होता
कि शक्ति और आनन्द का संचार हो रहा है तुम्हारे भीतर?
क्या समस्त प्राणी सम्मिलित नहीं हैं
तुम्हारे प्रयासों के आनन्द में?
तब तुम्हारे समीप मैं होता हूँ
पर, तुम्हारे कान ध्यान नहीं देते मेरे पाँवों की आहट पर।
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह