Last modified on 16 अक्टूबर 2013, at 13:51

आत्म हत्या / प्रमोद कुमार शर्मा

कणाई-कणाई
आवै है विचार
कै आज कोई रै
घात‘र बांथ
मर ज्यावां।
तो
कदै-कदै लागै
इण री जरूरत ई कांई है!