Last modified on 17 अक्टूबर 2013, at 14:58

आदत / कन्हैया लाल सेठिया

खोल्यां
बिन्यां ही
हटड़ी रो पूरो किवांड
कर दै पूछणो सरू
छोरो
कठै पड़ी है
कतरणी
सुई‘र डोरो
कोनी करै
चिन्यो घणो जीव नै दोरो
मिल ज्यावै सोक्यूं सोरो
आ नीत
कोनी सधण दै दीठ
रह ज्यावै आदमी
कोरो रो कोरो !