मनुष्यत्व की खोज में
उसने समूचे ब्रह्माण्ड की परिक्रमा की
पाताल से आकाश तक की दूरियाँ नापीं
जब वह लौटा
उसके साथ
देवता ही देवता
राक्षस ही राक्षस थे
आदमी
एक भी न था
मनुष्यत्व की खोज में
उसने समूचे ब्रह्माण्ड की परिक्रमा की
पाताल से आकाश तक की दूरियाँ नापीं
जब वह लौटा
उसके साथ
देवता ही देवता
राक्षस ही राक्षस थे
आदमी
एक भी न था