गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Last modified on 28 जनवरी 2015, at 13:39
आदमी / राजू सारसर ‘राज’
चर्चा
हिन्दी/उर्दू
अंगिका
अवधी
गुजराती
नेपाली
भोजपुरी
मैथिली
राजस्थानी
हरियाणवी
अन्य भाषाएँ
राजू सारसर ‘राज’
»
म्हारै पांती रा सुपना
»
Script
Devanagari
Roman
Gujarati
Gurmukhi
Bangla
Diacritic Roman
IPA
कठै’ई हाथ
कठै’ई आंख
कठै’ई पग
कठै’ई दिमाग
होंवतां थकां ई
ऐकल दीखै है
आज रो
खिंडण मिंडण आदमी।