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आदमी का जाया / केदारनाथ अग्रवाल

आदमी का
जाया
उपजाया भी,
न हुआ
अब तक
वह आदमी,
धरा-धाम का-
गौरव-गुन-ग्राम का-
कौड़ी का-छदाम का-
काम और नाम का।

रचनाकाल: २५/२६-१२-१९९१, बाँदा