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आदम कि हौआ / ऋचा जैन

ज़ेबरा की धारियाँ जाँघों पर
पीठ पर तेंदुए के धब्बे
ठुड्डी पर भालू के बाल
दिमाग़ में सींग
और बंदर की फ़ितरत लिए
मैं चिड़ियाघर हूँ, एक चिड़ियाघर में
तुमको लगता है, आदम हूँ!

एक मकड़ा-उलझा हुआ
जाल बुनता
फँसा हुआ, हताश, निराश
शिकार-अपने ही जाल में
तुम्हें लगा, दिमाग है मेरे पास!

ख़ुद को ही खा जाने वाला
एक तनावग्रस्त साँप हूँ।