अपनी गोलाई में कैद
बड़े आसमान का
खूबसूरत चाँद
न मिला मुझे
बचपन में-
जवानी में
जहाँ मैं हूँ
आदिम गुनाह में कैद
उससे दूर
बहुत दूर
अकेला
जमीन पर पड़ा
रचनाकाल: ०८-१०-१९६७
अपनी गोलाई में कैद
बड़े आसमान का
खूबसूरत चाँद
न मिला मुझे
बचपन में-
जवानी में
जहाँ मैं हूँ
आदिम गुनाह में कैद
उससे दूर
बहुत दूर
अकेला
जमीन पर पड़ा
रचनाकाल: ०८-१०-१९६७