Last modified on 27 जुलाई 2013, at 17:46

आदिवासी 2 / भास्कर चौधुरी

कांग्रेसी मरे तो
हल्ला
हो हल्ला
मानों कांग्रेसी नहीं विदेशी हो
जिनके मरने से सारा देश जाग जाता है
मेरा क्या
मैं जो रोज़ मर रहा हूँ
पीसा जा रहा हूँ
माटा चटनी की तरह रोज़
सील और लोढ़े के बीच!!