आदि-वंश का डंका / अछूतानन्दजी 'हरिहर'

आदि हिन्दू का डंगा बजाते चलो।
कौम को नींद से जगाते चलो।

हम जमीं हिन्द के आदि सन्तान हैं,
और आजाद हैं, खूब सज्ञान हैं,
अपने अधिकारों, पर दे रहे ध्यान हैं,

संगठन कौम में अबबढ़ाते चलो।
आदि हिन्दू का डंका बजाते चलो।

आर्य-शक-हूण बाहर से आये यहाँ,
और मुसलिम ईसाई जो छाये यहाँ,
सब विदेशी हैं कब्जा जमाये यहाँ,

खोलकर सारी बातें बताते चलो।
आदि-हिन्दू का डंका बजाते चलो।

दो विदेशी फक़त और हम आठ हैं,
हम हैं बहुजन मगर, उनके ही ठाठ हैं,
हमको पढ़ने-पढ़ाने यही पाठ हैं,

ख्वाबे-गफलत का परदा हटाते चलो।
आदि-हिन्दू का डंका बजाते चलो।

इन लुटेरों के चक्कर में तुममतपड़ो,
कायदे की लड़ाई है, डटकर लड़ो,
उठ खड़े हो कमर बाँध हक पर अड़ो,

काम बिगड़े हुए सब बनाते चलो।
कौम को नींद से अब जगाते चलो।

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