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आधा-अधूरा / रंजना जायसवाल

मैं
पूरी तरह
मारी नहीं जाती
अधमरी छोड़ दी जाती हूँ
उतना ही जीने के लिए
जितना चाहते हैं वे।
उतना ही सोचने के लिए
जितनी जरूरत है उनको
और मिल जाती है मुझे
उनकी शर्तों पर
आधा-अधूरा जीने की
छूट।