भाषा की जगह अब
सबसे महत्वपूर्ण अंकगणित है और
अर्थशास्त्र में समाहित लाभ की गणना के तमाम तरीके
व्यवहार की जगह
वरीयता दें ऐसी विधा को
जो बताए
बिना जनता के सम्मुख गए
कैसे उसे जीता जाए
ध्यान बँटाना है
सारी समस्याओं से तो
लें आँखें मूंद और श्वास रोककर
वही लोकप्रिय योगमुद्रा अपना लें
विद्वत्जनो !
इस तरह आपको पता भी न चलेगा कि
आपने अपने-आपको बदल लिया है और अब
मौन आपकी भाषा,
व्यवहार में कायरता और
जन विमुख रहना
आपके लिए नित्य क्रिया बन गए है ।