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आने वाला दृश्य / गोबिन्द प्रसाद


आदमी पेड़ और कव्वे-
यह हमारी सदी का एक पुराना दृश्य रहा है
इसमें जो कुछ छूट गया है
मसलन पुरानी इमारतें, खण्डहरनुमा बुर्जियाँ और
किसी के इन्तज़ार में झाँकती टूटी हुई कोई मेहराब
शायद अब उन पर उल्लुओं और चमगादड़ों का क़ब्जाह हो गया है

हाँ,तो इस दृश्य में
कव्वों ने आदमी के साथ मिलकर
पेड़ काटने की साजिश की
पेड़ लगातार कट रहे हैं और आसमान
हमसे दूर बहुत दूर होता जा रहा है

अब कव्वों ने इनसानों के साथ रहना सीख लिया है
अब आदमी कव्वों से घिर गया है
घर में कव्वे,दफ़्तरों में कव्वे
सड़कों पर कव्वे,पार्क की बेंच पर-
जिधर देखो कव्वे ही कव्वे

कैसा लगेगा जब दुनिया का कारोबार
और कुछ लोगों का बाज़ार बन्द हो जाएगा
और चले जाएँगे सब लोग
मुझे यक़ीन है तब भी कव्वे वहाँ दिखाई देंगे

अब पेड़ के बाद
दृश्य से आदमी गायब हो गया है
आने वाला दृश्य सिर्फ़ और सिर्फ़ कव्वों का है
आदमी और पेड़ के बिना कव्वों का होना कैसा लगेगा

दोस्तों! पेड़ ज़रूर कट चुके हैं
लेकिन हारे नहीं हैं
वे नीचे गिरते भी हैं तो एक गरिमा के साथ
लेकिन अफ़सोस आदमी...