भोर की लालिमा
पक्षियों की चहचहाट
के मध्य मद्धम मद्धम
हवा में घुल रही
पुष्पो की महक
जिसमें नज़र आती है
तुम्हारे साथ बिताए
हुए सम्पूर्ण पल
जिसमें उपजी थी
मोहब्बत की कोपलें
जो खिलने को तैयार थी।
आपकी याद में
आज भी इंतज़ार
कर रही है वह भोर
वो लालिमा
वो पुष्प एवं
वही महकती
हवा।