आपकी ख़ुशबू
आपकी आवाज़
आपका अहसास
जैसे नए फूल हों
मौसम के
जो भर देते हैं निनाद
ज़िन्दगी में।
मूल राजस्थानी से अनुवाद- मदन गोपाल लढ़ा
आपकी ख़ुशबू
आपकी आवाज़
आपका अहसास
जैसे नए फूल हों
मौसम के
जो भर देते हैं निनाद
ज़िन्दगी में।
मूल राजस्थानी से अनुवाद- मदन गोपाल लढ़ा