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आप कहीं नहीं गए / अनिता वर्मा

आप कहीं नहीं गए हैं । जा ही नहीं सकते ।

यह आवाज़

बहुत सारे शोर में
यह आवाज़
 
आत्मा तक उतरती है
धारण करती है जड़ों को
वृन्त और फूलों को देती है जीवन ।

ये शब्द स्पन्दन हैं
दुख सरीखे भारी हल्के आनन्द की तरह
इनमें मेरी चिन्ताएँ हैं
इनके बिना कोई चीज़ नहीं बनती ।