Last modified on 14 मई 2011, at 23:12

आप नहीं जानते / आसावरी काकड़े

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: आसावरी काकड़े  » आप नहीं जानते

जब मैं महकते फूलों से
खिला हुआ दिखता हूँ
तो आप मेरी सराहना करते हैं ।
मेरी घनी छाँव में
पनाह लेकर
आनंदित होते हैं
मगर तब
आप नहीं जानते कि
अंदर से मैं रिक्त होता हूँ !
और जब
बहार चली जाती है
पतझड़ मुझे सूना कर देती है
तो मेरे पास कोई नहीं आता !
मगर तब
आप नहीं जानते कि
अंदर से मैं खिलने लगता हूँ !
आप तो
हर बार
बसंत का अंत ही देख पाते हैं
आरंभ कभी नहीं !