Last modified on 13 मई 2018, at 23:02

आप मेरी पूछते क्यों / नईम

आप मेरी पूछते क्यों-
आए जब अपनी सुनाने?

सुनूँगा, सुनता रहा हूँ
और आगे भी सुनूँगा।
कातकर ले आए हैं,
गर आप तो निश्चित बुनूँगा

भाड़ समझा है मुझे
जो आए हैं दाने भुनाने।

तौलकर लाए नहीं कुछ
मैं बताऊँ भाव कैसे,
अखाड़ों से रहा बाहर,
मैं बताऊँ दाँव कैसे?

आपके जबड़े सलामत
आपके साबुत दहाने।

मुतमइन हैं हम कि काज़ी के
अंदेशे में शहर है,
आप चुप क्यों? और कहिए
क्या ख़बर है?

ठीक हूँ जी, क्या कहा?
यूँ ही लगा मैं गुनगुनाने।