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आबेॅ (2) / निर्मल सिंह

हमरे खेलेलोॅ आबेॅ हमरै खेलावै छै
सब रं के बात आबेॅ हमरै सिखावै छै
पाँच बरस मौज करै पटना आरो दिल्ली
टोकला पर नेताजी थोथनोॅ फुलावै छै
कोन रं के कानून छै हमरोॅ इ देशोॅ के
झुट्ठा गवाही पर जेल में ढुकावै छै
बात अराजकता के आबेॅ नै करभौं
इन्सान चुप, जुल्मी सीना फुलावै छै
कलक्टर, कमिश्नर, मिनिस्टर आरो अफसर
टिकनी रं जनथैं केॅ सब्भैं नचावै छै
इस्कूल पढ़ाय आबेॅ बन्द होय गेलै
आचार्य-प्राचार्य घरैं इस्कूल लगावै छै
रक्षक पुलिस आबेॅ रक्षक नै रहलै
मुदालै के बदला में मुदैय फँसावै छै
अंगरेज पुरनका आ नयका अंगरेज मिलि
अंगरेजी ‘निर्मल’ केॅ दोनों पढ़ावै छै