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आया है पन्द्रह अगस्त / जनार्दन राय

आया है पन्द्रह अगस्त
फिर आज यही समझाने को।
देश-वासियो भूल न जाना,
आजादी के नारों को।

वादे किये बहुत तुमने,
खायी भी कसमें है तुमने।
युवक-युवतियों भूल न जाना,
अपना फर्ज निभाने को।
आया है पन्द्रह अगस्त
फिर आज यही समझाने को।

राष्ट्रपिता बापू जो तुमको
मंत्र सिखाकर चले गये।
नागरिको तुम भूल न जाना
मंत्र वही दुहराने को।
आया है पन्द्रह अगस्त
फिर आज यही समझाने को।

नेता जी ने आजादी हित
खून जो तुमसे मांगा था।
वीर जवानो रोक न देना,
खून वही बह जाने को।
आया है पन्द्रह अगस्त
फिर आज यही समझाने को।

खतरे के बादल मंडराते,
बाहर से भीतर भीषण।
नौनिहाल प्यारे भारत के
फूंक उड़ा दो आफत को।
आया है पन्द्रह अगस्त
फिर आज यही समझाने को।

धर्मालय पापालय बनकर
तुम्हें चुनौती देता है।
बढ़ो बचाओ निज अखंडता
प्रेम भाव दर्शाने को।
आया है पन्द्रह अगस्त
फिर आज यही समझाने को।

एक अखंड बने रहकर,
निज शौर्य-वीर्य का परिचय दो।
चीन-पाक यदि ईंट फेंक दे,
उनपर फेको पत्थर को।
आया है पन्द्रह अगस्त
फिर आज यही समझाने को।

मुसीबतों से बलिदानों से
पत्थर को समझाना है।
‘नेपाली’ का गीत न भूलो
निज कंठों से गाने को।
आया है पन्द्रह अगस्त
फिर आज यही समझाने को।

एक सदा थे, एक रहो,
एकता न अपनी जाने दो।
अखंडता का दीप जलाओ,
राष्ट्र ध्वजा लहराने को।
आया है पन्द्रह अगस्त
फिर आज यही समझाने को।

-समर्था,
15.8.1986 ई.