राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
ऊंची ऊंची मेडी झरोका चार, ल्याई रे खाती का बेटा बाजोट्यो।
ज्या बैठ म्हारो किसन मुरार, करोनी सुंदरा बाई आरती।
ऊंची ऊंची मेडी झरोका चार, लयाई रे खाती का बेटा बाजोट्यो।
ज्या बैठ दशरथजी रा जोध करोनी भूवा बाई आरती।
ज्या बैठ वासुदेवजी री जोध करोनी भूवा भतीज्या आरती।
आरतड़या म्हारो धनसुख मेलो होय, माथा री चून्दड़ बीरा गजभरी।
झूठा ओ नणदबाई झूठ न बोल, पाच टकारो थारो आरत्यो राख रूपैयो बाई री आरती।
इसडी तो रीत भावज पिहरीया में राख, पिली पिली मोरा बाई री आरती।