मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
आरती करीय जानकी माइ
धृत भल भक्ति प्रेम बर बाती, ज्ञान बारि धरु कर हरषाइ
सुर नर मुनि दुर्लभ सेवल पद, से पद जलज आरती माइ
सुनु जगमातु पापमय कर, मम परशति पद सभ पाप नशाइ
करह कृपा आरती स्वीकृत, करु कुमर पूजि पद धरु शिर नाइ