बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
आली मनमोहन के मारै।
जमना गैल बिसारें।
जब देखो तब खड़े कुंज में।
गहें कदम की डारैं।
जो कोऊ भूल जात है रास्ता
बरबस आन बिठारैं।
जादौं नई हँसी काऊसों।
जा नइ रीत हमारैं।
ईसुर कौन चाल अब चलिये,
जे तो पूरौ पारें।