किरिया धरावल जब लहरा सिंह रुदल जियरा छाड़व हमार
नैंयाँ लेब बघ रुदल के
एतनी बोली बघ रुदल सुन गैल रुदल बड़ मंड्गन होय जाय
फिर के चलि भेल बघ रुदल लहरा दोसर कैल सरेख
खैंचल तेगा जब लहरा सिंह बाबू लिहल अली के नाम
जौं तक मारल बघ रुदल के देबी झट के लिहल बचाय
बरल करेजा बघ रुदल के रुदल कूदल बवन्तर हाथ
जौं तक मारल लहरा के भुँइयाँ लोथ फहराय
भागल फौदिया जब लहरा के जब नैना गढ़ गैल पराय
लागल कचहरी इंदरमन के जहाँ तिलंगा पहुँचल जाय
बोलै तिलंगा लहरा वाला राजा इंदरमन जान बचाई मोर
एतनी बोली सुनल इंदरमन बाबू मन में करे गुनान
पड़ गलै बीड़ा इंदरमन के राजा इंदरमन बीड़ा लेल उठाय
हाथी मँगावल भौंरानंद जिन्ह के नौं मन भाँग पिलाय
दसे तिलंगा ले साथन में सिब मंदिर पहुँचल जाय
घड़ी पलकवा का चलला में सिब मंदिर पहुँचल जाय
बाँधल घोड़ा रुदल के पलटन पर पड़ गैल दीठ
घीचै दोहाइ जब देबी के देबी प्रान बचावव मोर
आइल देबी जंगल के बनस्पती देबी पहुँचल आय
घोड़ा खोल देल बघ रुदल के घोड़ा उड़ के लागल अकास
रुदल सूतल सिब मंदिर में जहवाँ घोड़ा पहुँचल बाय