बीड़ा पड़ गैल बघ रुदल के रुदल बीड़ा लेल उठाय
मारु डंका बजवावे लकड़ी बोले कड़ाम कड़ाम
जलदी आल्हा के बोलवावल भाइ चलव हमरा साथ
करों बिअहवा सोनवा के दिन रात चले तलवार
गड्गन धोबी दुरगौली के बावन गदहा ढुले दुआर
मुड्गर लाद देल गदहा पर लड़वयौ आफत काल
दानी कोइरी बबुरी बन के सिहिंन लाख घोड़े असवार
चलल जे पलटन बघ रुदल के जिन्ह के तीन लाख असवार
रातिक दिनवाँ का चलला में धावा पर पहुँचल बाय
डेरा गिरावे दुरगौली में डेरा गिरौले बाय
जोड़ गदोइ रुदल बोलल भैया सुनीं आल्हा के देल बैठाय
नौ सौ सिपाही के पहरा बा आल्हा के देल बैठाय
रुदल चल गैल इंद्रासन में अम्बर सेंदुर किन के गैल बनाय
एत्तो बारता बा रुदल के नैना गढ़ के सुनीं हवाल
भँटवा चुँगला बा नैना के राजा इंदरमन के गैल दरबार
रुदल के भाइ अल्हगं है दुरगौली में डेरा गिरौले बाय
तीन लाख पलटन साथन में बा आल्हा के तैयारी बाय
हाथ जोड़ के भँटना बोलल बाबू इंदरमन के बलि जाओं
हुकुम जे पाऊँ इंदरमन के आल्हा के लेतीं बोलाय
एतनी बोली सुनल इंदरमन राजा बड़ मड्गन होय जाय
जेह दिन लैबव आल्हा के तेह दिन आधा राज नैना के देब बटवाय