चलल जे भँटवा बा नैना गढ़ से दुरगौली में पहुँचल बाय
हाथ जोड़ के भँटवा बोलल बाबू आल्हा सुनीं महराज
तेगा नव चलिहें नैना गढ़ में धरम दुआरे होई बियाह
हाथ जोड़ के आल्हा बोलल भँअवा सुनव धरम के बान
हम नव जाइब नैना गढ़ में बिदत होई हमार
किरिया धरावे भँटवा है बाबू सुनीं आल्हा बबूआन
जे छल करिहें राजा से जिन्ह के खोज मंगा जी खाय
चलल पलकिया जब आल्हा के नैनागढ़ चलल बनाय
घड़ी अढ़ाई के अंतर में नैनागढ़ पहुँचल जाय
नौ से कहंरा साथे चल गैल नैना गढ़ पहुँचल जाय
जवना किल्ला में बैठल इंदरमन तहवां आल्हा गैल बनाय
छरपल राजा इंदरमन आल्हा कन गैल बनाय
पकड़ल पहुँचा आल्हा के धरती में देल गिराय
बावन पाँती मुसुक चढ़ावे आखा में देल कसाय
लै चढ़ावल बजड़ा पर बात भैया छोटक के बलि जाओं
लै डुबावव आल्हा के गंगा दव डुबाय
सवा लाख पलटन तैयारी होय गेल छोटक के गंगा तीर पहुँचल बाय
लै डुबावत बा गंगा में आल्हा के डुबावत बाय
अम्बर बैटा जासर के आल्हा नव डूबे बनाय
रुदल आइल इंद्रासन से डेरा पर पहुँचल बाय
रोय कहँरिया दुरगौली में बाबू रुदल बात बनाव