गोसाँय हे, भक्ति कर जोड़ माँगौं
उगते सुरुज देवता गोड़ लागौं!
अक्षत, जपा छांक सिन्दूर चन्दन
दीरी जलैलै कराैं रोज वन्दन
भगवन, दरस लेल भर रात जागौ
उगते सुरुज देवता, गोड़ लागौं!
डुमरीर पत्ता अरघ लैकॅ पूजौं
मंतर समर्पित सरंग बीच गूँजौं
होवौं दया द्यौम्-पृथिवी ले पागौं
उगते सुरुज देवता, गोड़ लागौं!
सौंसे भुवन के रचयिता नियंता
रोगो हुवै नाश दुख, शोक सविता,
छत्तर, चॅवर दौं पताका केॅ टांगौं
उगते सुरुज देवता, गोड़ लागौं!
धारण करौ लोक-लोकान्तरी के
जीवन दहौ देव, सचराचरो के
सगठें अन्हरिया फटौं आरु भांगौं
उगते सुरुज देवता, गोड़ लागौं!
धूरोॅ भुवन भरि यहे प्रार्थना हे
पूरोॅ सभे के मनोकामना हे
भय, दीनता, दोष संताप भागौं
उगते सुरुज देवता, गोड़ लागौं!