Last modified on 17 अक्टूबर 2013, at 16:04

आवो आपां प्यार करां / सत्येन जोशी

आवो, आपां प्यार करां,
मुतळब रौ बोपार करां,
मू’डागै तो मीठा बोलां,
मन ई मन में वार करां।

सामां देख हाथ झट जोड़ां,
पूठ फेरतां, कड़का मोड़ा,
साथ सवावै कदै न ज्यांरौ,
माडांणी मनवार करां।

हिळमिळ हेत प्रीत दरसावां,
एक दूसरे रा गुण गावां,
भांडां गळी गळी में वां नै,
घर घर जा, परचार करां।

‘‘पड़ग्या परस, दरस रा सौंसा’’,
होटां हरख, हियै मैं मोसा,
छांनै सूं पाथर नै कांटा,
पिरतख फूलां हार भरां।


गरज गधै नै बाप बणांवां,
जीम चूंट नै पूठ फिरावां,
गरज तकां ळुळ ळुळ नै हालां,
मुजरो सौ सौ बार करां।

थपड़ा मार, गाल पम्पोळा
दांत काढ़, मू’डो मचकोळा,
एक दूसरे रै बाथां पड़,
कोतक बीच बजार करां।

औ जुग दौ मूण्डा री बोगी,
हाथ सूखतां, भूखा जोगी,
पिरतख पीड़ पराई पाळां,
चोट लगा, उपचार करां।