धुएँ से लदी हवा में
बूढ़ी तितली अपने कमज़ोर पंख फड़फड़ाती है
थकी हुई बेदम ।
वह राख भरे युद्ध के मैदानों पर उड़ती है
और उन बिसूरते हुए मैदानों पर
अपने सुनहरे रेशमी निशान छोड़ देती है ।
वह सूखते जा रहे, सुरमई समुद्र में गोता लगाती है
और मक्खनी पीले भँवर में डूब जाती है
और गहरे, गहरे नीले रंग में
उभर आते हैं नारंगी रंग के फूल और पंखुरियाँ ।
वह सभी अधखिले फूलों में साँस लेती है
और ज़िन्दा रहती है ।
अँग्रेज़ी अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए, अब इसी कविता को मूल अँग्रेज़ी भाषा में पढ़िए
Ketty Nivyabandi
Hope
The old butterfly flaps its slender wings through the smoky air
exhausted and breathless
he flies over the ashy battlefields
and lays his powdery, golden trail
on the wailing grounds
he dives into the grey, dry seas
now a swirl of buttery yellows
deep, deep blues
orange blossoms and peels
he breathes in all the unborn flowers
and he lives.