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आशी: / त्रिलोचन

पृथ्वी से
दूब की कलाएं लो
चार

उषा से
हल्दिया तिलक
लो

और
अपने हाथों में
अक्षत लो

पृथ्वी आकाश
जहाँ कहीं
तुम्हें जाना हो
बढ़ो
बढ़ो