आसपास
भीड़ का फैलाव
ढेर सारी गहमागहमी
फिर भी सन्नाटे का आभास
सालती रहती है
सब कुछ की व्यर्थता
लगातार रीतती जिन्दगी में
खुद छीज रही हूँ मैं
आसपास
भीड़ का फैलाव
ढेर सारी गहमागहमी
फिर भी सन्नाटे का आभास
सालती रहती है
सब कुछ की व्यर्थता
लगातार रीतती जिन्दगी में
खुद छीज रही हूँ मैं