बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
आसौ दे गऔ साल करौंटा,
करौ खाव सब खौंटा।
गोंऊ पिसी खाँ गिरूआ लग गव
महुअन लग गओ लौंका।
ककना दौरीं सबधर खाये
रै गव फकत अनोंटा।
कात ईसुरी बाँधें रइयो
जबर गाँठ कौ घोंटा।
आसौ दे गऔ साल करौंटा,
करौ खाव सब खौंटा।
गोंऊ पिसी खाँ गिरूआ लग गव
महुअन लग गओ लौंका।
ककना दौरीं सबधर खाये
रै गव फकत अनोंटा।
कात ईसुरी बाँधें रइयो
जबर गाँठ कौ घोंटा।