हमारे बीच बहुत कुछ टूट गया है
हमारे भीतर बहुत कुछ छूट गया है
कैसे दर्द ने तराश कर बुत बना दिया हमें
और तन्हाई हमसे लिपट कर
हमारे दिलों की हथेलियाँ मिलाने को तत्पर है
पत्थर फिर बोलेंगे
ये कैसी आस्था?
हमारे बीच बहुत कुछ टूट गया है
हमारे भीतर बहुत कुछ छूट गया है
कैसे दर्द ने तराश कर बुत बना दिया हमें
और तन्हाई हमसे लिपट कर
हमारे दिलों की हथेलियाँ मिलाने को तत्पर है
पत्थर फिर बोलेंगे
ये कैसी आस्था?