Last modified on 28 अप्रैल 2022, at 00:12

आस्था - 18 / हरबिन्दर सिंह गिल

यदि हम चाहते हैं
शब्द
अपना अर्थ न बदलें
हमें शब्द में ही
संपूर्ण आस्था रखनी होगी।

संपूर्ण आस्था ही
शब्द को
सही अर्थों में
उजागर करती है
अथवा
संदेह के नाम पर
केवल घरों को
उजड़ते ही देखा है।

यह घर
एक परिवार का
बसेरा हो सकता है
यह घर
एक धर्म का
पूजास्थल हो सकता है
और उससे ज्यादा
घर की
कोई परिभाषा नहीं है।

परंतु मानव ने घर को
बच्चों का एक खिलौना
बनाकर रख दिया है
क्योंकि मानव जन्मजात
मानवता से खेलता रहा है।

इसी खेल में एक ऐसा शब्द है
जिसे मानव ने
बहुत घिनौने रूप से खेला है
और वह शब्द है मातृभूमि