बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
आ गऔ बेईमानी कौ पारौ,
इतै न डेरा डारौ,
पंचन में परपंच जुरत है।
करैं न बारो न्यारौ।
मों देखी पंचयात करत हैं।
तकें चीकनो व्दारौ।
ईसुर कात सवै के मन की
जौ तगड़ा तौ डारौ।
आ गऔ बेईमानी कौ पारौ,
इतै न डेरा डारौ,
पंचन में परपंच जुरत है।
करैं न बारो न्यारौ।
मों देखी पंचयात करत हैं।
तकें चीकनो व्दारौ।
ईसुर कात सवै के मन की
जौ तगड़ा तौ डारौ।