आ जा रे परदेसी
मैं तो कब से खड़ी इस पार
ये अँखियाँ थक गईं पंथ निहार
- आ जा रे परदेसी
मैं दिये की ऎसी बाती
जल न सकी जो, बुझ भी न पाती
आ मिल मेरे जीवन साथी
- आ जा रे परदेसी
तुम संग जनम-जनम के फेरे
भूल गए क्यों साजन मेरे
तड़पत हूँ मैं सांझ-सबेरे
- आ जा रे परदेसी
मैं नदिया, फ़िर भी मैं प्यासी
भेद ये गहरा, बात ज़रा-सी
बिन तेरे हर साँस उदासी
- आ जा रे परदेसी