आ बाघ !
इस तरह से आ
हमें अच्छा लगे
किसी सुन्दर आवरण में आ
बस, पंजे छिपा ले हमारे दादा !
दाँत ढक ले हमारे आक़ा !
आ-आ
आ हमारे बाबा !
हाथ जोड़ते हैं
पाँव पड़ते हैं
सच नहीं बोलना है
मत बोल
कुछ बोल
झूठ ही सही
कुछ बोलते रह
लगे कि नया-नया
बहुत कुछ होने जा रहा है
हम भी तुम्हारे साथ
कुछ-कुछ बोलते रहेंगे
हवाई सपनों की खुमारी में
सबको डुबोए रखेंगे
अपने विपक्षी
कुछ नहीं करेंगे
विश्वास करो दादा !
यक़ीन रखो बाबा !