Last modified on 4 जुलाई 2014, at 07:11

इकाणवै / प्रमोद कुमार शर्मा

रोळो भोत मचाती
-काकी
चाकी पर जे जम जावती धूड़
बोलती कोई बीनणी सरे आम कूड़

पण अबै :
चाकी री ठौड़ रेडिमेट आटो है
अर बीनण्यां नैं भी किस्यो
-कपट रो घाटो है

इण वास्तै :
घर-घर मांय कांस है
भाखा नैं अड़कांस है
नीं रैयो सत्
-बाकी
रोळो भोत मचाती
-काकी।