रोटी का
दाब कम न था
कि जिस्म पर
लद गया
कपड़ो का भार भी
काश
सम्पूर्ण दुनिया
नग्न होती
तब
न नग्नता होती
न अश्लीलता
रोटी का
दाब कम न था
कि जिस्म पर
लद गया
कपड़ो का भार भी
काश
सम्पूर्ण दुनिया
नग्न होती
तब
न नग्नता होती
न अश्लीलता