और
काले जाम भी
लजीज
व्यंजन की
भरी-पूरी
थाल
वेश्या
न जूठी हो
कठौते की गंगा
अधम-श्रेष्ठ
सन्त-असन्त
गृहस्थ-अतिथि
बारी-बारी
सामूहिक
भेाग लें
यहाँ
संभेाग कहाँ?
और
काले जाम भी
लजीज
व्यंजन की
भरी-पूरी
थाल
वेश्या
न जूठी हो
कठौते की गंगा
अधम-श्रेष्ठ
सन्त-असन्त
गृहस्थ-अतिथि
बारी-बारी
सामूहिक
भेाग लें
यहाँ
संभेाग कहाँ?